वाराणसी एक परिचय

                              काशी दुनिया के प्राचीनतम शहरों में एक है| उत्तरवाहिनी गंगा के सुरम्य तट पर वरूणा और असी नदी के मध्य में बसी वाराणसी नगरी प्राचीन काल से ही हिंदुओं के लिए परम तीर्थ स्थान रही है। इसे भगवान शिव की नगरी भी कहते है | ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव माँ अन्नपूर्णा के साथ नित्य निवास करते है | माँ अन्नपूर्णा जहाँ प्राणीमात्र के लिए अन्न-जल की व्यवस्था करती है वहीँ भगवान शिव प्राणिमात्र के लिए ज्ञानमार्ग को प्रशस्त करते है | भगवती के 64 शक्तिपीठो में से एक शक्तिपीठ यहीं पर अवस्थित है जिसे विशालाक्षी के रूप में जाना जाता है | वाराणसी को ही काशी और बनारस नाम से भी जाना जाता है | पौराणिक मान्यताओं के अनुसार काशी में देहत्याग (मृत्यु) सौभाग्य का सूचक माना जाता  है | ऐसा माना जाता है कि काशी में मृत्यु होने पर वह व्यक्ति जन्म-मरण के चक्रों से सर्वदा के लिए मुक्त हो जाता हैवास्तव में यह काशी नगरी तीन महत्त्वपूर्ण खंडो से मिलकर बनी है – आदिकेशव खण्ड, विश्वेश्वर खण्ड, केदार खण्ड | आदिकेशव खण्ड के प्रतिनिधि देवता भगवान विष्णु है जो सूर्य के साथ गंगा-वरुणा के संगम पर स्थित है |

                जिस स्थान पर बुद्ध ने आत्मज्ञान के बाद अपने पहले उपदेश का प्रचार किया था, वह सारनाथ वाराणसी से मात्र 10 किमी दूर है,  जो हिंदू नवजागरण का प्रतीक है। ज्ञान, दर्शन, संस्कृति, देवताओं के प्रति समर्पण, भारतीय कला और शिल्प यहां सदियों से फले-फूले हैं। जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्मस्थान भी वाराणसी में माना जाता है।

                                    श्रीमती एनी बेसेंट ने अपनी थियोसोफिकल सोसाइटी ’और पंडित मदन मोहन मालवीय ने वाराणसी को ही अपने कर्मस्थली के रूप में चुना, जो कि एशिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ के रूप में प्रसिद्ध है।कहा जाता है कि आयुर्वेद की उत्पत्ति वाराणसी में हुई और माना जाता है कि यह आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का आधार है आयुर्वेद और योग के प्रस्तोता आचार्य महर्षि पतंजलि भी इस पवित्र शहर वाराणसी से संबद्ध थे। वाराणसी युगों से सीखने का एक बड़ा केंद्र रहा है। वाराणसी अध्यात्मवाद, रहस्यवाद, संस्कृत, योग और हिंदी भाषा के प्रचार से जुड़ा है और तुलसीदास, कालिदास, कबीरदास, रैदास जैसे प्रसिद्ध संत-कवियों का आश्रय स्थल रहा है | भारत की सांस्कृतिक राजधानी कही जाने वाली  वाराणसी ने सभी सांस्कृतिक गतिविधियों को फलने-फूलने के लिए सही मंच प्रदान किया है। नृत्य और संगीत के कई प्रतिपादक आचार्य यहाँ निवास करते है |